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कौन हैं भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी के बेटे जयंत, राजनीति से दूर रहकर क्या करते हैं?
नई दिल्ली : लाल कृष्ण आडवाणी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बात की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये दी। आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने के बाद उनके परिवार की तरफ से भी खुशी व्यक्त की गई है। आडवाणी के साथ उनकी बेटी और बेटे की तस्वीर भी सामने आई है। बेटी प्रतिभा आडवाणी के साथ बेटे जयंत ने भी पिता को भारत रत्न मिलने पर खुशी व्यक्त की है। जयंत आडवाणी की दो संतानों में बडे़ हैं। प्रतिभा आडवाणी उनसे छोटी हैं। खास बात है कि पिता के इतने बड़े राजनेता होने के बाद भी जयंत ने राजनीति से अलग रास्ता चुना।बिजनसमैन हैं जयंत आडवाणी
आडवाणी के बेटे जयंत आडवाणी पेशे से बिजनेसमैन हैं। इसके बावजूद वह कई मौकों पर अपने पिता के साथ दिखाई देते हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि लाल कृष्ण आडवाणी जब बीजेपी की तरफ से आम चुनाव में पीएम पद के उम्मीदवार बने थे तब जयंत ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया था। आडवाणी उस समय गुजरात के गांधी नगर से चुनाव मैदान में थे। जयंत ने गांधी नगर में घर-घर जाकर अपने पिता के लिए वोट मांगे थे। जयंत के साथ उनकी मां कमला आडवाणी, पत्नी गीतिका और छोटी बहन प्रतिभा आडवाणी भी थीं।
राजनीति से परहेज नहीं
जयंत को राजनीति से परहेज नहीं हैं। साल 2014 में एक इंटरव्यू में जयंत ने कहा था कि वह पार्टी में शामिल होना चाहते हैं और पूर्णकालिक राजनीति में कदम रखना चाहते हैं। उस इंटरव्यू में जूनियर आडवाणी ने मोदी के प्रति अपने प्रेम और पार्टी में अपने पिता के योगदान के बारे में खुलकर बात की थी। जयंत ने कहा था कि मुझे लगता है कि मुझमें इसके लिए योग्यता है, अन्यथा मैंने इसके बारे में सोचा भी नहीं होता। मैं राजनीतिक माहौल में बड़ा हुआ हूं। मैंने अपने पूरे जीवन में यही देखा और सीखा है। राजनीति आपको लोगों के जीवन में बदलाव लाने की शक्ति, क्षमता और साधन देती है। यदि इसका उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जाए तो यह इसके लायक है।
पिता नहीं चाहते थे राजनीति में एंट्री
लाल कृष्ण आडवाणी से जुड़ा वाकया है कि वह नहीं चाहते थे कि उनके बेटे राजनीति में आएं। आडवाणी का मानना था कि यदि उन्होंने अपने बेटे को राजनीति में उतारा तो उनपर वंशवाद का आरोप लग सकता है। विश्वंभर श्रीवास्तव की किताब 'आडवाणी के साथ 32 साल' में आडवाणी के करीबी हरिन पाठक के हवाले से कहा गया कि उन्होंने आडवाणी को सुझाव दिया था कि वे अपने बेटे को गांधी नगर से उम्मीदवार बना दें और खुद नई दिल्ली से चुनाव लड़ें। हालांकि, आडवाणी ने इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया था। पाठक के आग्रह पर आडवाणी ने कहा था कि जयंत गांधी नगर से आसानी से जीत सकते हैं लेकिन मैं उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दूंगा। इस तरह आडवाणी ने अपने बेटे की राजनीतिक यात्रा शुरू होने से पहले ही ब्रेक लगा दिया था।